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नई सामग्री विश्वविद्यालय की पत्रिकाएँ
केदारनाथ अग्रवाल

केदारनाथ अग्रवाल समग्र

कविता संकलन

अपूर्वा
अनहारी हरियाली
आग का आइना
आत्मगंध
बोले बोल अबोल
गुलमेंहदी
खुली आँखें खुले डैने
पंख और पतवार
पुष्प दीप
फूल नहीं रंग बोलते हैं
बंबई का रक्त स्नान (आल्हा)
मार प्यार की थापें
हे मेरी तुम

अशोक त्रिपाठी द्वारा संपादित कविता संकलन

कहें केदार खरी खरी
कुहकी कोयल खड़े पेड़ की देह
जमुन जल तुम
जो शिलाएँ तोड़ते हैं
वसंत में प्रसन्न हुई पृथ्वी

आलोचना, भाषण, समीक्षाएँ

विचार बोध
विवेक विवेचना
समय समय पर

यात्रा वृत्तांत

बस्ती खिले गुलाबों की
(रूस यात्रा के संस्मरण)

पत्र

मित्र संवाद (दो खंडों में)
(केदारनाथ अग्रवाल और रामविलास शर्मा के पत्रों का संकलन)

अनुवाद

देश-देश की कविता
(पाब्लो नेरूदा और अन्य कवियों की कविताओं के अनुवाद)

 

अज्ञेय

अज्ञेय का उपन्यास

अपने-अपने अजनबी

उसने कहा, ‘न न, योके, यह अपराध को खाहमखाह ओढ़ना है। तुम जो अपने को स्वतंत्र मानती हो वही सब कठिनाइयों की जड़ है। न तो हम अकेले हैं, न स्वतंत्र हैं। बल्कि अकेले नहीं हैं और हो नहीं सकते, इसलिए स्वतंत्र नहीं हैं; और इसीलिए चुनने या फैसला करने का अधिकार हमारा नहीं है। मैंने तुम्हें बताया है कि मैं चाहती थी कि मैं अकेली मरूँ। लेकिन क्या यह निश्चय करना मेरे बस का था? क्या मैं अपनी मनपसन्द परिस्थिति चुन सकी? और तुम - क्या तुम स्वतंत्र हो कि मुझे मरती हुई न देखो? ऐसी सब स्वतंत्रताओं की कल्पनाएँ निरा अहंकार हैं - और उसी से स्वतंत्रता को छोड़कर कोई दूसरी स्वतंत्रता नहीं।’

मनोज रूपड़ा

मनोज रूपड़ा की कहानी

रद्दोबदल

उधर शहरों में अजीबोगरीब तब्दीलियों का दौर अब भी जारी था। एक दिन सुबह-सुबह जब लोग अपने बिस्तरों में दुबके थे देश के सभी सेलफोन धारकों के फोन एक साथ बज उठे। लोगों ने नींद से उठ कर जम्हाई लेते हुए अपना-अपना हैंडसेट हाथ में लिया और देखा उसमें एक एस.एम.एस. था जिसमें यह लिखा था - पिछला सब कुछ भूल जाओ। कल क्या होगा मत सोचो। पीछे मुड़ कर देखना मना है और आगे की सोचना एक दंडनीय अपराध है।

भगवत रावत

भगवत रावत की कविताएँ

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा द्वारा प्रस्तुत

'कविता शती' श्रृंखला में

कविता शती - 2

(कीर्ति चौधरी, अजित कुमार, कुँवर नारायण, भगवत रावत, रमेशचंद्र शाह और श्रीराम वर्मा द्वारा कविता पाठ)



बहुवचन

क्या अंबेडकरवादी आंदोलन समाप्त हो गया है?
  • ज्ञानेश्वर शंभरकर
शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और न्यायपूर्ण विश्व
  • मेधा पाटकर
गल्पेतर गल्प का ठाठ
  • स्वयं प्रकाश

पुस्तक-वार्ता

पुस्तकें और मैं
  • कामतानाथ
बड़ी अपेक्षाओं वाली शुरुआत
  • मधुरेश
भीष्म साहनी के नाटक
  • मलय पानेरी

HINDI

The Concept of Indianness in the Hindi Novel
  • Satyakam
Utopia vs. Reality
  • Rajiv Ranjan Giri
Five Poems
  • Chandrakant Deotale
अज्ञेय
अखिलेश
अन्तोन चेख़व
अमीर खुसरो
इंदिरा गोस्वामी
कबीर
कुणाल सिंह
कृष्णा सोबती
केदारनाथ अग्रवाल
गजानन माधव मुक्तिबोध
चन्द्रशेखर कंबार
चंद्रधर शर्मा गुलेरी
जयशंकर ‘प्रसाद’
जॉर्ज ऑरवेल
जोतीराव गोविंदराव फुले
तुलसीदास
तोमास त्रांसत्रोमर
दुःखिनीबाला
दुष्यंत कुमार
धर्मवीर भारती
नीलाक्षी सिंह
पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’
प्रेमचंद
फणीश्वरनाथ रेणु
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
भारतेंदु हरिश्चंद्र
भीष्म साहनी
मक्सिम गोर्की
मलिक मुहम्मद जायसी
मिर्ज़ा ग़ालिब
मोहन राकेश
रघुवीर सहाय
रवींद्र कालिया
रवींद्रनाथ टैगोर
रामचंद्र शुक्ल
राहुल सांकृत्यायन
शरतचंद्र चट्टोपाध्याय
लाला श्रीनिवास दास
लू शुन
श्रीलाल शुक्ल
शिवमूर्ति
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
सुदर्शन
हरिशंकर परसाई

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